आयुर्वेद सदियों से शिलाजीत के गुनी व प्रयोग को जनता रहा है । सैकड़ो आयुर्वेदीय ग्रन्थ इसकी प्रसंशा से भरे पडे हैं आज की तनाव पूर्ण जीवन शैली ख़राब दिनचर्या असंतुलित व् हानिकारक रसायनयुक्त खानपान, पोषण की कमी, प्रदूषणयुक्त वातावरण आप को बीमार कमजोर व् समय से पहले बूढा बना रहे हैं
सर्दियों में प्रदूषण का लेवल बढ़ जाता है लोग व्यायाम करने के बजाय रज़ाइयों व् कम्बलो में घुसकर आराम करना ज्यादा पसंद करते हैं , खानपान और भी अव्यवस्थित हो जाता है, लोग पानी काम पीते हैं और अपने आप को जैकेट टोपी मोज़े व् दस्तानो में अपने आप को ढक लेते हैं जो हमें धीरे धीरे और बीमार व् कमजोर बनाता है।
ऐसे में हमारी प्रकृति (Nature) ने हमें कुछ ऐसी चीजे दी हुई है जिससे हम स्वस्थ व् ऊर्जावान जीवन जी सकते हैं उन्ही कुछ बेशकीमती नियामतों में से एक है शिलाजीत जिसे हम सर्दियों का वरदान कह सकते हैं ।
शिलाजीत की उत्पत्ति पहाड़ों से होती है, गर्मी के मौसम में सूर्य की तेज गर्मी से पर्वत की चट्टानों के धातु अंश (जो की हजारो साल पहले पर्वत स्रिंखलाओ के निर्माण के समय जंगलो ले दब जाने और हजारो साल की रासायनिक प्रक्रिया का परिणाम है ) पिघल कर रिसने लगते हैं इसी पदार्थ को शिलाजीत कहते हैं ।
इसका संस्कृत नाम : शिलाजतु और English Name : Aspholtum हैं
प्रकार (टाइप्स): शिलाजीत अपने रासायनिक संघटन के अनुरूप ४ प्रकार का होता है १. रजत २. स्वर्ण ३. लौह व् ४. ताम्र शिलाजीत
गुण (Qualities):
रस (Taste) – कड । तिक्त ,
वीर्य (Energy Type)- उष्ण वीर्य (Heating)
विपाक (Post Digestion quality),
रुक्ष व् गुरु (Dry , Heavy) , धातु (Tissue) – All Tissues (सभी धातुओ पर प्रभाव),
श्रोतस (Channel)- मूत्रवह, प्रजनन व् स्नायु श्रोत (Urinory Nervous and Reproductive)
शिलाजीत एक प्राचीन पदार्थ है, इसमें ८५ प्रकार के मिनरल, खनिज तत्त्व (Trace Element), Triterpenes , Humic Acid और Falvic Acid पाया जाता है ।
शिलाजीत को योगविधि कहा गया है इसका अर्थ यह किसी पदार्थ के साथ लिया जाता है उसके गुण को बढ़ाता है और इसके पोषक तत्वो को कोशिका (Cells) तक ले जाता है ।
अध्धयन से पता चला है की CoEnzyme Q१० जी ह्रदय (Heart), यकृत (Liver) व् गुर्दे (Kedney) की कोशिकाओ में ऊर्जा पैदा करता है, शिलाजीत के प्रयोग से या २९% तक बढ़ जाता है
रसायन :
शिलाजीत शरीर की वृध्दि को बढ़ता है ये रक्त में ओक्सिजेन तथा आयरन को कोशिकाओं तक ले जाता है। शिलाजीत की ये गुणवत्ता मनुष्य को स्वस्थ्य ऊर्जावान व् योवन से पूर्ण बनाता है यह शरीर में ऊर्जा के स्टार को बनाये रखता है जो की सामान्तया आयु के साथ कम होता जाता है । यह शरीर में वासा का पाचन करता है और कोशिकाओं में खनिज तत्वो के स्तर को संतुलित करता है ।
विभिन्न रोगों में शिलाजीत का प्रयोग और उसके लाभ :
शिलाजीत केवल ताकत व् ऊर्जा ही नहीं प्रदान करता बल्कि अनगिनत स्वास्थ्य संबंधी शारीरिक व् मानशिक परेशानियों जैसे शारीरिक :- कब्ज़, कमजोरी, मधुमेह, रक्ताल्पता, नपुंसकता आदि तथा मानसिक:- कमजोर याददाश्त, अवसाद, तनाव, Alzimer, Dimentia, आदि में भी बहुत लाभकारी होता है । इसके बारे में यहाँ तक कहा गया है की
” धरती पर ऐसा कोई भी रोग नहीं जिसे शिलाजीत के प्रयोग से ठीक न किया जा सके”
आजकल की कुछ आम बिमारिओ में शिलाजीत का प्रयोग:-
1. मानसिक तनाव (Stress/Anxiety/Depression):- शिलाजीत एक बहुत ही प्रभावकारी anti stress और anti-anxiety औषधि है इसका यह गुण इसमें पाए जाने वाले Falvic Acid के कारण होता है। यह Testosterone Hormone के level को बढ़ाता है जो आप के मूड जो आपके मूड और सोचने के तरीके को प्रभावित करता है। इसमें पाया जाने वाला एक रसायन Dibenzo-alpha-ppyrones मस्तिष्क में पाए जाने वाले Neuro Chemical को टूटने से बचाता है जो याददाश्त के लिए अच्छा है ।
२. वृद्धावस्थाजन्य दुर्बलता रोधक (एंटी-एजिंग): शिलाजीत अपने Anti -Aging गुण के कारन कोशिकीय क्षति को रोकता है, ये कोशिकाओं में होने वाली क्षति ही वृद्धावस्था आने की प्रक्रिया को तेज गति प्रदान करती हैं और हृदय, यकृत एवं फेफड़ों व् त्वचा वृद्ध बनाती हैं।
Falvic Acid , खनिज तत्वो तथा AntiAging या Anti-Oxident को सीधे कोशिकाओं तक ले जाता है जहाँ इसकी आवश्यकता होती है और वृद्धावस्था की परिक्रिया को रोकता है और कोशिकाओं व् त्वचा को जवान रखने में मदद करता है ।
३. रोग रोधक क्षमता : शिलाजीत पाचन को सुधर कर तथा पोषक तत्वो के अवशोषण को दुरुस्त कर के तथा रक्त के संचार को सुचारू रूप से बढ़ कर पोषक तत्वो, खनिज, ऑक्सीजन व् रक्त को एक एक कोशिका तक पहुचाने में मदद करता है जिससे कोशिकाओं में ऊर्जा उत्पादन बढ़ जाता है और कोशिकाएं स्वतः ही उत्पन्न या बहार से पहुचे Free radicals को बहार निकांले में सक्षम हो जाती हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक सहमत में सुधर आता है ।
४. मधुमेह (Diabetes ):- शिलाजीत मधुमेह के लिए बेहद कारगर है यह प्राकृतिक रूप से रक्तगत शर्करा (Blood Glucose Level ) को नियंत्रित करता है। शिलाजीत में पाया जाने वाला Falvic Acid एंड Humic Acid ही उसके मधुमेह नाशक होने का कारक है, ” मधुमेह विकसित व् विकासशील देशो के लिए बड़ी स्वस्थ्य समस्या है यह मृत्यु के कारणों में ७वी पायदान पर है (7th among the leading cause of death ).
५. मोटापा (Obesity):- आजकल की भाडदौड भरी लाइफ में विलासिता पूर्ण जीवन तथा असंतुलित खनपान तनाव के दुष्प्रभाव एक महामारी का रूप लेता जारहा है ये दुष्प्रभाव मोटापा है जो की बहुत से रोगों का मूल कारन है, शिलाजीत का प्रयोग शरीर में Testosteron नाम के हार्मोन को संतुलित करता है जो की मांसपेशियों को बढ़ता है और वासा को ऊर्जा में परिवर्तित करने में मदद करता है जिससे मोटापा काम होता है ।
६. यौन रोग (Sexual Disorder):- शिलाजीत वाजीकारक है । वाजीकारक वे पदार्थ होते है जो sexual Power और Sexual Function को बढ़ाते हैं इसका पुरुषो द्वारा सेवन , Pre Mature Ejaculation (शीघ्रपतन), स्वप्नदोष (Nocturnal Emission), कामेच्छा में कमी (Loss of Libido), कमजोरी (Weakness) शुक्राणु अल्पता (Low Sperm Count ) नपुंसकता (Impotency) धातु रोग (Prostonhoea) को भी दूर करता है यह सभी प्रजनन अंगो को ताकत प्रदान करता है ।
महिलाओ में भी इसका सेवन कमजोरी, खून की कमी, गर्भाशय शोध, मासिक धर्म की दिक्कतों व् बांझपन को भी दूर करने की क्षमता रखता है ।
शिलाजीत की औषधीय मात्रा :-
आयुर्वेद में इसका प्रयोग तीन तरीके से बताया गया है
१. पर प्रयोग (Maximum Dose) : ७ सप्ताह तक शिलाजीत का प्रयोग रोजाना “पर प्रयोग” कहा जाता है यह बलशाली और माहुत रोगों से ग्रषित लोगो पर किया जाता है ।
२. माध्यम प्रयोग (Medium Dose): ३ सप्ताह तक प्रितदिन शिलाजीत का प्रयोग “माध्यम प्रयोग” कहा जाता है, यह Medium Body Type लोगो तथा माध्यम दोष वालों पर किया जाता है ।
३. अवर प्रयोग (Minimum Dose): १ सप्ताह तक शिलाजीत का प्रयोग “अवर प्रयोग” कहा गया है , अल्पबल व् अल्पदोष वालो को यही प्रयोग करना चाहिए ।
शिलाजीत की औषधीय मात्रा २५० mg से 1gm है। सटीक खुराक व्यक्ति को स्वस्थ्य, उम्र , रोग, पाचनशक्ति समेत बहुत से अन्य कारको पर निर्भर करती है ।
इसका प्रयोग
वात रोगों में – तिल के तेल से
पित्त रोगों में – घी के साथ
कफ विकार में – शहद के साथ
कमजोरी व् वाजीकरण के लिए – दूध के साथ
करना अधिक लाभदयक है ।
सावधानियाँ :
- शिलाजीत की तासीर गर्म होती है अतः जिनकी पित्त प्रकृति है या गर्मी बढ़ी हुई है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।
- शिलाजीत सेवन के दौरान विदाही भोजन (मिर्च मसाले , कहते, अचार, मछली, अंडे, शराब आदि ) का सेवन नहीं करना चाहिए ।
- कुलधी के सेवन को विशेष रूप से आयुर्वेद में अहितकर मन गया है यहाँ तक कहा गया है की जो लोग शिलाजीत सेवन कर रहे है उन्हें १ वर्ष तक कुलधी का सेवन नहीं करना चाहिए।
- जिनका यूरिक एसिड बढ़ा हो या जिन्हें यूरिक एसिड जन्य पथरी हो या गठिया हो उन्हें शिलाजीत का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
- Phenylketonuria (PKU) जो की एक अनुवांशिक विमारी है इसमें बी इसका प्रयोग हानिप्रद है, Chlorine Water के साथ उसका प्र्रयोग नहीं करना चाहिए आयनिक क्लोरीन के साथ उसके कुछ योगिक क्रिया करके खतरनाक रसायन बनाते हैं ।
- गर्भावस्था तथा दूध पिलाने वाली महिलाओं को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
अंततः इसके गुणों के आधार पर यह कहा जा सकता है की यदि मनुष्य अपनी प्रकृति, बलवल, रोग की गंभीरता, पाचन क्षमता के अनुसार शिलजेट का प्रयोग करता है तो शायद ही ऐसा कोई रोग हो जो ठीक न हो सके और स्वस्थ मनुष्य इसके प्रयोग से अपनी ताकत व् योवन को बरकार रख सकता है । इसकी गर्म तासीर के कारन यह सर्दियो के लिए अति लाभदायक है यह शरीर को गर्म रखता है जिससे सर्दियो में हों वाली अनेक बिमारिओ से सुरक्षा प्रदान करता है ।
By Dr. Anil Kumar